#RandomThoughts #ShortPoem
संघर्षों से थक कर, कई बार मैं यूं ही खो जाती हूँ
तब मैं खुद को शून्य में ताकती पाती हूँ
ज़िन्दगी के हर सफर में हमसफ़र बनता ये शून्य
इसही में मैं समाती हूँ , और यहीं वक़्त बिताती हूँ
PS: Written for Indispire Edition 141:Write a post on 0 (Zero). Write anything- humour, short story, haiku, poem, or a memory.
Kyaa baat hai.. Awesome....
ReplyDeleteThanks...
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